सुबह उठकर पानी पीना कितना सही, आयुर्वेद के अनुसार।

सुबह उठकर पानी पीना कितना सही, आयुर्वेद के अनुसार

जलमेव जीवनम् जल ही जीवन है। यानी जल ही जीवन है। फिर हमें यह लगता है कि अगर जल ही जीवन है तो हमें ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए और फिर हर एक आरोग्य पत्रिका में, हेल्थ टिप्स में, टीवी में या सोशल मीडिया में, भी हमें इसका महत्व बताया जाता है। सुबह उठकर खाली पेट पानी पीना यानी उषा पान।यह भी बताया जाता है कि सुबह उठकर चार से पांच गिलास या डेढ़ से 2 लीटर पानी हमें पीना चाहिए।  इसके बहुत सारे फायदे हैं जैसे त्वचा में निखार आना। पेट साफ होना। डिटॉक्सिफिकेशन, किडनी अच्छी रहना, इन सब के बारे में उषापान के फायदे बताए जाते हैं।
यहां तक बताया जाता है कि आयुर्वेद ग्रंथों में भी इसका वर्णन है। लेकिन क्या यह सच है यह देखते हैं आज का टॉपिक में। इसे पूरी जानकारी के लिए जरूर पढ़ें।  तृष्णा यानी प्यास लगना। यह दो प्रकार की होती हैं। एक है स्वाभाविकलक्षण स्वरूप, दूसरी व्याधि अवस्था में, जो तृष्णा स्वभाविक रूप से होती है। वह अगर शरीर में पानी की कमी हुई तो उत्पन्न होती है। फिर उस अवस्था में  गला सूखने लगता है।  मुंह मे सूखापन लगता है। थकान महसूस होती है। लेकिन इसमें  अगर हम आवश्यकता अनुसार प्रकृति के अनुसार ऋतु के अनुसार पानी पीते हैं तो इस तृष्णा का शमन होता है संतुष्टि मिलती है।

दूसरी प्रकार की तृष्णा है जो व्याधि अवस्था में होती है।  वो है परमेहम जिसे हम डायबिटीज कहते हैं। उसमें तृष्णा लक्षण हमें देखने को मिलता हैं। पानी पीने के नियमो का जितना वर्णन आयुर्वेद में मिलता है। उतना शायद किसी अन्य शास्त्र में मिले। लेकिन आयुर्वेद के जिनके प्रमुख आचार्य हैं। जैसे आचार्य चरक ,आचार्य सुश्रुत, आचार्य वाग्भट्ट, इन्होंने कहीं पर भी उषापान या सुबह उठ के खाली पेट पानी पीने के लिए हमें नहीं बताया है। उन्होंने  द्धेधचर्या अध्याय में सुबह से लेकर रात तक हमे क्या-क्या करना चाहिए। इस हर एक चीज का बहुत बारीकी से वर्णन किया है।

लेकिन उसमें भी उष्णपान का कहीं भी वर्णन नहीं है। लेकिन जो बाद के आचार्य हैं उन्होंने योग रत्नाकर, निगन्धो रत्नाकर, इन ग्रंथों में इसका वर्णन किया है। उन्होंने भी साफ तौर पर हमे बताया है। जिन व्यक्तियों का शरीर पंचकर्म चिकित्सा से शुद्ध हुआ है।  सिर्फ उन्होंने ही सुबह उठ के खाली पेट पानी पीना है। फिर उन्होंने उसके फायदे भी बताए हैं। उसकी मात्रा भी बताई है। जो स्वस्थ है उन्हें भी पानी का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। हमें एक बात और बताई जाती है कि सुबह उठकर ब्रश करने से पहले कुल्ला करने से पहले हमें पानी पीना है।

तो सुबह जो मुंह की लार है जो सलाइवा है वह अंदर जाना चाहिए। आयुर्वेद में यह कहीं पर नहीं बताया है उल्टा अगर आप सोचो कि रात भर सोते समय जो मुंह में कीटाणु तैयार होते हैं या किसी को मुंह की बीमारी होती है। जब दातों में कुछ कैविटी है, सड़न है, इंफेक्शन है ,और इसके साथ ही हम सुबह पानी पिए तो यह सब पेट में जाने की संभावना ज्यादा होती है। आयुर्वेद में जठराग्नि या पाचक अग्नि का बहुत महत्व बताया है। उन्होंने यहां तक बताया। कि अगर यह अग्नि शांत हो जाए तो मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। जैसे सृष्टि का स्वामी सूर्य है। ऐसे ही हमारे अंदर ये जठराग्नि है।

जब हम कोई यज्ञ करते हैं तो यज्ञ में हम घी की आहुति चढ़ाते हैं ना कि जल की। अगर घी की जगह जल चढ़ा दे तो यज्ञ की ज्वाला बुझ जाएगी। वैसे ही हम सुबह उठकर बहुत ज्यादा मात्रा में पानी पिये या जूस है शरबत है या चाय कॉफी जिसमें जल महाभूत प्रधनद्रव्य है। ऐसे हम अंदर ले तो शरीर की जो अग्नि है वह बुझ जाएगी। फिर शरीर में दिनभर पचाने के लिए जो अग्नि का काम है वह कौन करेगा। अग्निमानदेह है आम दोष है यही सब रोगों को जड़ में है।

अगर हम उषापान से कुछ दिनों तक फायदे भी दिखे। तो आप इसे ज्यादा दिन तक करते हैं तो इसके नुकसान ही आपको दिखेंगे। फिर इस मे नींद ज्यादा आना, आलस आना ,शरीर में सूजन होना, जोड़ों में दर्द होना,सर्दी खासी जैसे विकार होना यात्री में है जिसे हम डायबिटीज इन सब की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।

पेट साफ होने के लिए भी सुबह उठकर पानी पीने की सलाह दी जाती है। पेट साफ होना एक नेसदिक प्रक्रिया है। आपको थोड़ा सा प्रेशर महसूस  होगा लेकिन आप लंबे समय तक उष्णपान करते रहे तो पाचन तंत्र बिगड़ सकता है। डिटॉक्सिफिकेशन के लिए या किडनी साफ करने के लिए भी पानी पीने के लिए बताया जाता है। यह भी गलत है। पानी  हम किडनी को इतना अतिरिक्त भार क्यों दे रही हैं। जैसे अगर आपने देखा होगा जो पेशेन्ट डायलिसिस में हैं उनको डॉक्टर पानी कम से कम पीने की सलाह देते हैं तो हमें अभियोग पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालना है। सुबह खाली पेट पानी पीके  फिर उसको उल्टी करना यानी स्टमक वाश भी आयुर्वेद में कहीं पर भी नहीं बताया है।

आयुर्वेद में पंच कर्म चिकित्सा में वमन बताया है और स्टमक वाश ये दोनों बहुत अलग-अलग है। वमन के बारे में विस्तार से हम आगे बताएंगे। ज्यादा पानी पीने से शरीर के जो इलैक्ट्रॉस जैसे सोडियम है ,पोटैशियम है ,यह काफी मात्रा में शरीर से बाहर निकल जाते हैं। फिर सूजन है जिसे हम एलिमा कहते हैं। वह भी बढ़ने की संभावना रहती हैं ।अब देखते हैं सुबह का पानी कौन पी सकता है और कैसी पी सकता है। अगर आपको सुबह  उठने के बाद प्यास लगती है तो आप पानी ले सकती हैं। पानी सिर्फ एक कप से लेकर एक गिलास तक लीजिए पानी गर्म या गुनगुना लीजिए।

अगर आपकी पित्त प्रकृति है तो आपको प्यास ज्यादा लगेगी। आपकी कफ़ प्रकृति है तो आपको प्यास कम लगेगी। आपकी प्यास के हिसाब से, ऋतु के हिसाब से, आप पानी लीजिए।जब पानी गर्म कर रहे हैं तो उसमें लौंग डाल सकते हैं। काली मिर्च डाल सकते हैं। धनिया, जीरा है, तुलसी के पत्ते हैं, पुदीना के पत्ते हैं ,ये आप डाल सकते हैं। यह सब आपकी रसोई में आपको आराम से मिल जाती है। पानी पीते समय बैठकर घुट घुट थोड़ा-थोड़ा  आराम से पानी पीजिए। अगर आपको प्यास नहीं है तो आप जबरदस्ती पानी पी रहे यह भी सही नहीं है और आपको प्यास है और आप पानी बिलकुल नहीं पी रहे यह भी सही नहीं है।

आपकी प्रकृति के अनुसार ऋतु के अनुसार आपकी जितनी प्यास है उसी के हिसाब से पानी पीजिए। पानी पीना है किसी ने बताया है इसीलिए जबरदस्ती पानी बिल्कुल ना पिए। उम्मीद है उष्णपान के बारे में आपकी सारी शंकाएं दूर हो गई होंगी। फिर भी कोई शंका है। या कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में डाल सकते हैं। नमस्कार ।
सुबह उठकर पानी पीना कितना सही, आयुर्वेद के अनुसार। सुबह उठकर पानी पीना कितना सही, आयुर्वेद के अनुसार। Reviewed by Vishant Gandhi on April 02, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.