इस डाइट प्लान से किसी भी बीमारी का उपचार संभव है
अगर मैं आपसे कहूं कि सिर्फ अपना खाना बदलकर आपकी कोई भी बीमारी जड़ से ठीक हो सकती है तो क्या आप मेरा विश्वास करेंगे। आपको कोई भी बीमारी क्यों ना हो diabetes high blood pressure थायराइड पीसीओडी hair fall जोड़ों में दर्द माइग्रेन सर्वाइकल। अगर आप अपनी डाइट बदल ले। उसको 100 % फॉलो करें। 3 महीने बाद अपना ब्लड टेस्ट करवाएं आपको वह बीमारी नहीं रहेगी। मुझे मालूम है आप मेरा भरोसा नहीं करेंगे। आप शायद सोच रहे हैं लेकिन मेरे खाने और बीमारी का क्या संबंध। बीमारी तो दवाई से ठीक होती है खाने से थोड़ी। लेकिन आज दुनिया भर में हजारों लोग दवाइयां छोड़कर सिर्फ अपना डायट और लाइफस्टाइल बदलकर बड़ी से बड़ी बीमारियां ठीक कर रहे हैं।
मैं आपके साथ एक सिंपल डायट प्लान शेयर करूंगा। जो मेरे गुरु ने सिखाया इस डायट को फॉलो करने से मेरा PCOD thyroid hair fall सिर्फ तीन महीनों में बिना दवाइयों के जड़ से खत्म हो गया। मैंने यह डायट अब हजारों लोगों के साथ शेयर किया और जो भी इसको अच्छे से follow करता है। उन सभी की बीमारियां खत्म हो रही है। लेकिन डायट से भी ज्यादा जरूरी है शरीर के अंदर जमी गंदगी को बाहर निकालना क्योंकि जो शरीर अंदर से बिल्कुल साफ है उसमें कोई बीमारी हो ही नहीं सकती।
1 Eat living food ( जीवित ) यानी ऐसा भोजन जिसमें जीवन है देखिए यदि आप जमीन में कुछ बोते हैं। रोज उसे पानी देते हैं। तो कुछ दिन बाद उसमें से पौधा उग जाएगा। for example दाल का बीज मिट्टी में बोते हैं तो कुछ दिन बाद वही अंकुरित हो जाएगा जिसमें से पौधा निकल आएगा। लेकिन यदि आप कोई बिस्कुट और नोडल बोते हैं तो क्या आपको कभी लगता है कि उसमें से गेहूं निकलेगा नहीं!। क्योंकि उस बिस्कुट और नूडल्स में कोई जीवन नहीं है उसमें प्राण नहीं है और इसीलिए वह जीवन दे भी नहीं सकता। यह सारे निर्जीव भोजन है dead food है। इसलिए यह हमारे शरीर को जीवन कैसे दे सकती है। दूसरी तरफ फल सब्जियां मेवे आदि यह सब जीवित पौधे हैं और यह लिविंग फ़ूड है जो हमारे शरीर के अंदर जाते ही हमारे शरीर में जीवन लाते हैं उम्र बढ़ाते हैं बीमारियां घटाते हैं शरीर में से गंदगी को बाहर निकालते हैं।
भगवत गीता के 17 अध्याय में 10 वे श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं जो भोजन पका हो उसे पकने के एक प्र्र्रहर यानी कि 3 घंटे के अंदर अंदर खा लेना चाहिए। 3 घंटे के बाद वह तामसिक हो जाता है। उसमें से प्राण जाने लगता है। इसलिए योगिक संस्कृति में चावल चपाती या सब्जी 3 घंटों से ज्यादा रखी हो तो उसको नहीं खाते।
अब मुझे एक बात बताइए यह 3 घंटों वाला नियम हम सब्जी चपाती सब्जी पर ही क्यों करें। वह दूसरी वस्तुओं का क्या। क्या आप सोच भी सकते हैं कि यह कितने घंटे कितने टाइम पहले पकाई होगी। 3 घंटे छोड़ो 3 दिन छोड़ो ज्यादातर चीजें तो 3- 3 साल पहले पकाई जाती है और फिर पैकेट डब्बे या फिर बोतल में बंद करके बहुत सारा केमिकल डाला जाता है ताकि यह देखने और सूंघने में बासी ना लगे। यह केमिकल शायद इन चीजों की लाइफ तो बढ़ा देते हैं और हमारे खुद की सेल्फ लाइफ कम कर देते हैं।
क्या आप जानते हैं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भारत सरकार को सावधान किया। आजकल मिलने वाला दूध इतना मिलावटी है कि यदि हम इसे पीते रहेंगे तो 2025 तक 87% भारत को कैंसर होगा। अब आप शायद पूछे कि मेरे घर का दूध तो बिल्कुल शुद्ध है। मेरी खुद की गौशाला से आता है। तो क्या मैं पी सकता हूं ? नहीं जिन लोगों को अपनी बीमारी ठीक करनी है। वजन घटाना है दिन भर बैठने का काम होता है। वह लोग दूध पचा ही नहीं सकते। शुद्ध दूध भी बहुत भारी होता है। छोटे बच्चे जिनकी हाइट बढ़ रही है। athletes जो दिन में चार चार पांच 5 घंटे खेलते हैं। वह शुद्ध दूध को शायद पचा सके लेकिन शायद हम में से ज्यादातर लोग इसे नहीं पचा सकते। दूध नहीं तो दूध से बनी कोई चीज भी नहीं लेनी। जैसे पनीर देसी धी बटर अभी नहीं पचेगा।
लगभग 11:00 बजे आप नाश्ते में मौसम का कोई भी फल एक प्लेट ले सकते हैं जैसे की सेव संतरा पपीता अंगूर नाशपाती आदि ऐसे फल खाए जिसमें पानी ज्यादा हो इसलिए केला नहीं खाना सबसे अच्छा तो यह है कि आप एक बार में एक ही फल खाएं लेकिन उससे संतुष्टि ना मिले तो तो आप दो या तीन पल भी खा सकते हैं हमेशा वह फल खाए जो आपके देश में उगते हैं और मौसम के अनुसार आते हैं आप हमेशा सीजनल फल खाने चाहिए क्योंकि यह है हमेशा सस्ते भी होते हैं और अच्छे भी होते हैं अगर आप चाहे तो फल के ऊपर नारियल की गिरी को पीसकर भी लगा सकते हैं। फिर लगभग 2:00 बजे आप लंच में अनाज ले ले चपाती और सब्जी हम एक खास तरह की चपाती बताते हैं जिसे डाइजेस्ट करना आसान शब्दों में पचाना भी आसान होता है यह पूरी तरह की गेहूं कि नहीं बल्कि 50% आटा और 50% सब्जी आप इसमें किसी भी तरह की सब्जी की चपाती बना सकते हैं जैसे कि खीरे की चपाती चुकंदर की चपाती पालक की चपाती आदि।
देखिए ऐसा नहीं है कि दाल गलत है या फिर राजमा गलत है बात यह है कि हमारा मॉडर्न लाइफ़स्टाइल जिसमें हम 8 घंटे कंप्यूटर या मोबाइल के आगे बैठे रहते हैं और दिन में 1 घंटे से ज्यादा एक्सरसाइज नहीं करते ऐसे में बचाना मुश्किल हो जाता है हमारे पूर्वज इसको आसानी से पचा पाते थे क्योंकि वह पूरे दिन में 8:00 8 घंटे धूप में मेहनत का काम करते थे लेकिन समस्या तो यह है कि हम लाइफस्टाइल तो आज का जी रहे हैं और डायट खानपान यह हम अपने पूर्वजों का खा रहे हैं और इसलिए बीमार पड़ रहे हैं।
अब लंच और डिनर के बीच में आपको मेड मिल लेने का मन करें इस समय आप कोई भी ताजा जूस पेठे का जूस या फिर नारियल का जूस ले सकते हैं इसके साथ स्नैक्स नमकीन बिस्कुट बिल्कुल नहीं लेना यदि juice के बाद भी भूख लगे तो आप नारियल के दो तीन टुकड़े ले सकते है या फिर हल्का फल खा ले।
अगला प्रश्न मुझे यह कब तक फॉलो करना है इसको आप तब तक फॉलो करें जब तक आपको स्वस्थ और फिट रहना है और जब तक आपको शरीर में रोग और बीमारी नहीं चाहिए जो मैंने आपको यहां दिया वह वजन कम करना या डायट प्लान की तरकीब नहीं है यह एक लाइफस्टाइल है जो आप को मां प्रकृति और उसके खाने से वापस जोड़ता है हमारा यह शरीर मां प्रकृति का बहुत कीमती दिया हुआ है दिन बा दिन हफ्ते 2 हफ्ते साल भर साल यह समय गुजरा जा रहा है रोज सुबह हम उठते हैं और शीशे में देखते हैं और सोचते हैं काश हमें दिन की शुरुआत यह दवाइयां लेकर ना करनी पड़ती काश मेरा यह एक्स्ट्रा वेट ना होता मैं चाहता हूं कि आप जिंदगी भर ऐसे इच्छा ना करते मैं चाहता हूं कि आप महसूस करें कि शरीर का हर अंग जब अच्छा लगता है या फिट होता है तो कैसा लगता है जब आपके शरीर में बीमारी या बीमारी का कोई बीज नहीं होता मेरा यहां होने का सिर्फ एक मकसद है आपको वापस मां प्रकृति से जोड़ना।
अभी के लिए इतना ही हम वापस फिर मिलेंगे।
मैं आपके साथ एक सिंपल डायट प्लान शेयर करूंगा। जो मेरे गुरु ने सिखाया इस डायट को फॉलो करने से मेरा PCOD thyroid hair fall सिर्फ तीन महीनों में बिना दवाइयों के जड़ से खत्म हो गया। मैंने यह डायट अब हजारों लोगों के साथ शेयर किया और जो भी इसको अच्छे से follow करता है। उन सभी की बीमारियां खत्म हो रही है। लेकिन डायट से भी ज्यादा जरूरी है शरीर के अंदर जमी गंदगी को बाहर निकालना क्योंकि जो शरीर अंदर से बिल्कुल साफ है उसमें कोई बीमारी हो ही नहीं सकती।
अब इससे पहले मैं आपको बताऊं की आपको ब्रेकफास्ट लंच डिनर में क्या खाना है।
पहले आपको प्राकृतिक खाने के चार नियम समझने होंगे।
पहले आपको प्राकृतिक खाने के चार नियम समझने होंगे।
1 Eat living food ( जीवित ) यानी ऐसा भोजन जिसमें जीवन है देखिए यदि आप जमीन में कुछ बोते हैं। रोज उसे पानी देते हैं। तो कुछ दिन बाद उसमें से पौधा उग जाएगा। for example दाल का बीज मिट्टी में बोते हैं तो कुछ दिन बाद वही अंकुरित हो जाएगा जिसमें से पौधा निकल आएगा। लेकिन यदि आप कोई बिस्कुट और नोडल बोते हैं तो क्या आपको कभी लगता है कि उसमें से गेहूं निकलेगा नहीं!। क्योंकि उस बिस्कुट और नूडल्स में कोई जीवन नहीं है उसमें प्राण नहीं है और इसीलिए वह जीवन दे भी नहीं सकता। यह सारे निर्जीव भोजन है dead food है। इसलिए यह हमारे शरीर को जीवन कैसे दे सकती है। दूसरी तरफ फल सब्जियां मेवे आदि यह सब जीवित पौधे हैं और यह लिविंग फ़ूड है जो हमारे शरीर के अंदर जाते ही हमारे शरीर में जीवन लाते हैं उम्र बढ़ाते हैं बीमारियां घटाते हैं शरीर में से गंदगी को बाहर निकालते हैं।
भगवत गीता के 17 अध्याय में 10 वे श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं जो भोजन पका हो उसे पकने के एक प्र्र्रहर यानी कि 3 घंटे के अंदर अंदर खा लेना चाहिए। 3 घंटे के बाद वह तामसिक हो जाता है। उसमें से प्राण जाने लगता है। इसलिए योगिक संस्कृति में चावल चपाती या सब्जी 3 घंटों से ज्यादा रखी हो तो उसको नहीं खाते।
हमारे दादा दादी और पूर्वज भी ऐसा करते थे खाना चूल्हे से प्लेट में आता था और आजकल क्या हो रहा है लोग सब्जी को फ्रिज में 3-3,4-4 दिन तक रखते हैं। रोज उसमें से थोड़ा निकालते हैं और खाते हैं और वापस फ्रिज में स्टोर कर देते हैं। वह बांसी निर्जीव खाना खा रहे हैं और शरीर में कैंसर को आमंत्रण दे रहे हैं। यदि कोई चीज आग पे पकी हो तो उसे हमें 3 घंटों के अंदर या ज्यादा से ज्यादा 5 घंटों के अंदर खा लेना चाहिए।
अब मुझे एक बात बताइए यह 3 घंटों वाला नियम हम सब्जी चपाती सब्जी पर ही क्यों करें। वह दूसरी वस्तुओं का क्या। क्या आप सोच भी सकते हैं कि यह कितने घंटे कितने टाइम पहले पकाई होगी। 3 घंटे छोड़ो 3 दिन छोड़ो ज्यादातर चीजें तो 3- 3 साल पहले पकाई जाती है और फिर पैकेट डब्बे या फिर बोतल में बंद करके बहुत सारा केमिकल डाला जाता है ताकि यह देखने और सूंघने में बासी ना लगे। यह केमिकल शायद इन चीजों की लाइफ तो बढ़ा देते हैं और हमारे खुद की सेल्फ लाइफ कम कर देते हैं।
अगर आप गहराई में सोचें तो यह खाना तो है ही नहीं। यह तो प्रोडक्ट है जो किसी कंपनी ने बनाया है जो कि किसी भी दूसरे बिजनेस की तरह प्रॉफिट कमाना चाहती है। यह निर्जीव है डैड है। इसमें कोई प्राण शक्ति नहीं बची होती है। तो पहला नियम लिविंग फ़ूड खाए यानी वह भोजन जिसमें जीवन हो। कुछ भी बोतलबंद पैकेट बंद किया फिर डिब्बाबंद ना खाएं। ऐसी कोई भी चीज ना खाएं ऐसी कोई भी चीज ना खाएं जो इंसानों द्वारा फैक्ट्री में बनाई गई हो। ऐसा खाए जो सीधा मां प्रकृति से आता हो फल सब्जियां अनाज मेवे और फिर मां प्रकृति खुद आपका ध्यान रखेगी। बिस्किट की बजाए नारियल की गिरी के छोटे छोटे टुकड़े खाए। सोडा कैन की जगह नारियल पानी पिए। नमकीन और स्नेक्स की जगह ताजा फल और सलाद खाए।
2 Eat wholesome food - पूर्णत : ऐसा खाना जिसमें पूर्णता हो। मां प्रकृति को सब पता है वह गलती नहीं करती। कोई कारण ही है कि हमें वह पेड़ों पर खजूर देती है चीनी नहीं। कोई कारण है कि वह हमें पेड़ों पर नारियल देती है नारियल का तेल नहीं। वह आलू देती है आलू के चिप्स नहीं। वह भोजन जो हमें सीधा सीधा धरती से प्राप्त होता है। उसमें पूर्णता होती है। मतलब वह खुद में पूरा होता है। उसमें से कुछ निकाला नहीं गया।
मां प्रकृति ने हर खाने को बनाने से पहले बहुत प्लानिंग की है। उन्होंने हर भोजन में प्रोटीन फैट विटामिन 1 particular तुलना में दिया है ताकि हम इंसान उसको आसानी से पचा सके। यदि हम इंसान उसमें से फैट निचोड़ कर खाते हैं या फिर उसकी बाहरी परत निकाल देते हैं तो फिर हम उसे मां प्रकृति के ओरिजिनल डिजाइन से बदल रहे हैं। इसीलिए सफेद चावल की जगह ब्राउन चावल खाए और फिर ब्राउन चावल तुलसा होता है। इसमें पूर्णता होती है यदि हम उस पर से ब्राउन ब्रेड निकाल देते हैं। तो वह सफेद चावल बन जाता है। उस चावल को डाइजेस्ट करने का प्रोग्राम मेकैनिज्म खत्म हो जाता है। जिसको हम निकाल कर फेंक देते हैं। सफेद चावल खाना ऐसा है कि गुठली खाली और आम बाहर निकाल दिया। चीनी के बजाय गुड या खजूर खाए। खजूर और गुड़ में पूर्णता होती है। चीनी खंडित होती है। किसी चीज को तेल में तलने की जगह उसे साबुत खाएं। नारियल तेल की जगह अपने खाने में नारियल की कच्चे गिरी का इस्तेमाल करें।
अगर गेहूं खाना है तो गेहूं को चोकर के साथ खाये। रोटी बनाने से पहले गेहूं के चोकर को छानकर अलग ना करें अपना आटा खुद पिसवायें।
अगर गेहूं खाना है तो गेहूं को चोकर के साथ खाये। रोटी बनाने से पहले गेहूं के चोकर को छानकर अलग ना करें अपना आटा खुद पिसवायें।
3 Eat Plant Based- शुद्ध शाकाहारी : शुद्ध शाकाहारी भोजन खाए। यानी ऐसा भजन जो पेड़ पौधों से आता है ना की पशुओं से मीट मछली या अंडा। कुछ नहीं खाना मां प्रकृति ने हमारे शरीर को जानवर खाने के लिए बनाया ही नहीं। आपका अगला सवाल शायद यह हो कि दूध से बनी चीजों को क्या देखिए। देसी गाय का शुद्ध दूध अच्छा है। लेकिन समस्या यह है कि आजकल जो हमें दूध मिलता है। वह दूध है ही नहीं। हमें जो दूध थैलियों में मिलता है। वह मिल्क पाउडर यूरिया और बहुत ही हानिकारक केमिकल से बना एक सफेद पदार्थ है।
क्या आप जानते हैं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भारत सरकार को सावधान किया। आजकल मिलने वाला दूध इतना मिलावटी है कि यदि हम इसे पीते रहेंगे तो 2025 तक 87% भारत को कैंसर होगा। अब आप शायद पूछे कि मेरे घर का दूध तो बिल्कुल शुद्ध है। मेरी खुद की गौशाला से आता है। तो क्या मैं पी सकता हूं ? नहीं जिन लोगों को अपनी बीमारी ठीक करनी है। वजन घटाना है दिन भर बैठने का काम होता है। वह लोग दूध पचा ही नहीं सकते। शुद्ध दूध भी बहुत भारी होता है। छोटे बच्चे जिनकी हाइट बढ़ रही है। athletes जो दिन में चार चार पांच 5 घंटे खेलते हैं। वह शुद्ध दूध को शायद पचा सके लेकिन शायद हम में से ज्यादातर लोग इसे नहीं पचा सकते। दूध नहीं तो दूध से बनी कोई चीज भी नहीं लेनी। जैसे पनीर देसी धी बटर अभी नहीं पचेगा।
अब आप चिंता ना करें दूध का एक आसान replacement है जो आपको सारा न्यू ट्रेंस प्रोटीन विटामिन कैल्शियम दे सकता है। जो आपको गाय के दूध से मिलना था। अंतर बस इतना है कि आपका शरीर इसे पचा सकता है। आप जानते हैं वह क्या है नारियल का दूध। नारियल धरती पर सबसे अच्छे भोजन में से एक है। इसे हमारे पूर्वज श्रीफल कहते थे। भारत में हर जन्म हर शादी हर उत्सव की शुरुआत नारियल तोड़ने से होती है। क्योंकि हमारे पूर्वजों को पता था कि अगर वह हमें कहे नारियल खाओ सेहत के लिए बहुत अच्छा है शायद कोई ना खाएं लेकिन इसे हमारे रीति रिवाज मैं शामिल करने से यह किसी ना किसी तरह से भारत के हर घर में पहुंच जाएगा। अब हमेशा नारियल का दूध खुद बनवाएं। पैकेट वाला नारियल का दूध नहीं पीना।
4 Eat Water Rich Food - रस से भरा हुआ : यानी ऐसा भोजन जो रस से भरा हुआ हो। इसमें दो तरह के भोजन होते हैं। पहला water rich जिसमें पानी भरपूर मात्रा में होता है और दूसरा water poor जिसमें पानी की मात्रा नहीं होती water rich मैं आते हैं फल जैसे पपीता तरबूज ग्रेप्स टमाटर संतरा खीरा पत्तेदार सब्जी लोकी। Water poor मैं आते हैं जैसे अनाज चपाती चावल सूखे मेवे दाल अखरोट और स्टार्ट वाली सब्जियां जैसे आलू अरबी देखिए यदि आप किसी को मिक्सर में डालें और उसमें juice निकल आए तो आप समझ जाइए कि वह वाटर rich है क्या आप कभी रोटी या चावल का जूस मनाते हैं नहीं क्योंकि आपको पता है कि उसमें चावल या आलू में रस है ही नहीं।
अब आपका शरीर 70% पानी है और 30% सुडोल जैसे हड्डी मसल और मास तो स्वाभाविक है कि आपका food 70% water rich जैसे फल जूस सब्जियां और 30% water poor होना चाहिए। जैसे अनाज और सूखे मेवे लेकिन हम में से ज्यादातर लोग इसका उल्टा करते हैं हम अनाज दिन में तीन बार खाते हैं जो पूरी तरह से पचता नहीं है और इसलिए हमें इतने सारे रोग हो रहे है।
संक्षेप में
1 Eat living food - यानी ऐसा भोजन जिसमें जीवन हो जो सीधा खेत से आपके किचन में आता है किसी फैक्ट्री से नहीं आता
2 Eat wholesome food - यानी ऐसा भोजन जिसमें पूर्णता हो जैसे सफेद चावल की जगह ब्राउन चावल चीनी की जगह गुड या फिर खजूर तेल की जगह नारियल की गिरी
3 Eat Plant based food - यानी शुद्ध शाकाहारी भोजन आपका भोजन सीधा पेड़ पौधों से आना चाहिए पशुओं से नहीं मीट मछली अंडा यह सब बिल्कुल नहीं खाना है गाय के दूध के बजाय नारियल के दूध का इस्तेमाल करें।
1 Eat living food - यानी ऐसा भोजन जिसमें जीवन हो जो सीधा खेत से आपके किचन में आता है किसी फैक्ट्री से नहीं आता
2 Eat wholesome food - यानी ऐसा भोजन जिसमें पूर्णता हो जैसे सफेद चावल की जगह ब्राउन चावल चीनी की जगह गुड या फिर खजूर तेल की जगह नारियल की गिरी
3 Eat Plant based food - यानी शुद्ध शाकाहारी भोजन आपका भोजन सीधा पेड़ पौधों से आना चाहिए पशुओं से नहीं मीट मछली अंडा यह सब बिल्कुल नहीं खाना है गाय के दूध के बजाय नारियल के दूध का इस्तेमाल करें।
4. Eat water rich food - यानी ऐसा भोजन जो रस से भरा हो।
तो चलिए अब चलते हैं अब हम डाइट प्लान की बात करते हैं।
सुबह का जूस 9:00 a.m.
नाश्ता 11:00 a.m.
लंच 2:00 pm
Mid mail 4:00 p.m.
Dinner 6:00 p.m.
सुबह का जूस 9:00 a.m.
नाश्ता 11:00 a.m.
लंच 2:00 pm
Mid mail 4:00 p.m.
Dinner 6:00 p.m.
मैंने आपको जो टाइमिंग दिया है वह ज्यादातर लोगों को सूट करता है आप इसको अपने रूटीन के हिसाब से एडजस्ट कर सकते हैं कोई प्रॉब्लम नहीं याद रखेगी कि आप इस प्लान में 16 घंटे का उपवास जरूरी रखना है मतलब अगर आप डिनर रात को 7:00 बजे लेते हैं तो आप सुबह का नाश्ता कम से कम 11:00 बजे करें मतलब कुछ सॉलिड भोजन नहीं करना सुबह 11:00 बजे तक।
तो आइए अब हम बात करते हैं।
Detox juice - जो आप सुबह उठने के थोड़ी देर बाद ले सकते हैं करीब 9:00 बजे इसके लिए हम होते स्पेशल सब्जी का juice इस्तेमाल करते हैं जब यह हमारे शरीर के अंदर जाता है तो यह हमारे शरीर की गंदगी और टॉक्सिंस को सोख लेता है मैग्नेट की तरह और जब यह निकलता है बहुत सारे गंदगी अपने साथ लेकर निकलता है वजन कम करने के लिए और त्वचा साफ रखने के लिए यह सबसे अच्छा तरीका है यह सब्जी बाहर से हल्के आरा हरे रंग की होती है और अंदर से बिल्कुल सफेद।
Detox juice - जो आप सुबह उठने के थोड़ी देर बाद ले सकते हैं करीब 9:00 बजे इसके लिए हम होते स्पेशल सब्जी का juice इस्तेमाल करते हैं जब यह हमारे शरीर के अंदर जाता है तो यह हमारे शरीर की गंदगी और टॉक्सिंस को सोख लेता है मैग्नेट की तरह और जब यह निकलता है बहुत सारे गंदगी अपने साथ लेकर निकलता है वजन कम करने के लिए और त्वचा साफ रखने के लिए यह सबसे अच्छा तरीका है यह सब्जी बाहर से हल्के आरा हरे रंग की होती है और अंदर से बिल्कुल सफेद।
क्या आप जानते हैं कि यह सब्जी कौन सी है हिंदी में से सफेद पेठा कहते हैं और इंग्लिश में Ash Gourd यह आपको सब्जी वाले के पास मिल जाएगी। जूस बनाने के लिए सबसे पहले इस के छिलकों को उतार ले अंदर से सारे बीज भी निकाल ले और फिर इसको काट कर juicer मैं जूस निकाल ले जूसर ना हो तो इसे मिक्सी में भी निकालकर छानकर पी लें रोज सुबह एक गिलास करीब 300ml पेठे का जूस जरूर पिए इसमें कोई नमक मिर्च नींबू मसाला नहीं डालना चिंता ना करें यह कड़वा नहीं होता इसको आप नारियल जूस के साथ भी ले सकते हैं अगर सफेद पेठा ना मिले तो आप नारियल का जूस पी सकते हैं और अगर नारियल पानी भी ना मिले तो आप किसी भी सब्जी का जूस ले सकते हैं जैसे लोकी खीरा या किसी अन्य सब्जी को ले सकते हैं और उसका जूस पी सकते हैं फिर जूस पीने के लगभग 2 घंटे तक कुछ ना खाए क्योंकि पेठे का जूस शरीर में सफाई का काम कर रहा है कुछ खाएंगे तो सफाई रुक जाएगी।
लगभग 11:00 बजे आप नाश्ते में मौसम का कोई भी फल एक प्लेट ले सकते हैं जैसे की सेव संतरा पपीता अंगूर नाशपाती आदि ऐसे फल खाए जिसमें पानी ज्यादा हो इसलिए केला नहीं खाना सबसे अच्छा तो यह है कि आप एक बार में एक ही फल खाएं लेकिन उससे संतुष्टि ना मिले तो तो आप दो या तीन पल भी खा सकते हैं हमेशा वह फल खाए जो आपके देश में उगते हैं और मौसम के अनुसार आते हैं आप हमेशा सीजनल फल खाने चाहिए क्योंकि यह है हमेशा सस्ते भी होते हैं और अच्छे भी होते हैं अगर आप चाहे तो फल के ऊपर नारियल की गिरी को पीसकर भी लगा सकते हैं। फिर लगभग 2:00 बजे आप लंच में अनाज ले ले चपाती और सब्जी हम एक खास तरह की चपाती बताते हैं जिसे डाइजेस्ट करना आसान शब्दों में पचाना भी आसान होता है यह पूरी तरह की गेहूं कि नहीं बल्कि 50% आटा और 50% सब्जी आप इसमें किसी भी तरह की सब्जी की चपाती बना सकते हैं जैसे कि खीरे की चपाती चुकंदर की चपाती पालक की चपाती आदि।
इस तरह अगर आप दो चपाती खाते हैं तो आपके अंदर सिर्फ एक चपाती का ही अनाज जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप डबल चपाती खाने लग जाओ उतनी ही चपाती खाए जितना आप पहले खाते थे यदि आप एक चपाती खाते हैं तो आप दो कटोरी सब्जी खाए और यदि आप दो चपाती खाते हैं तो आप चार कटोरी सब्जी खाएं मतलब सब्जी ज्यादा खानी है और अनाज कम खाना और जब आप अनाज खाते हो बिना सब्जी के तो उसको पचाना मुश्किल हो जाता है लेकिन जब आप अनाज को सब्जी के साथ खाते हो तो उसको पचाना आसान हो जाता है हफ्ते में एक या दो बार आप चपाती की जगह ब्राउन राइस भी ले सकते हैं दाल रोटी की जगह सब्जी रोटी खाए दाल चावल की जगह सब्जी चावल खाए राजमा चना छोला बिल्कुल भी नहीं खाना कम से कम तब तक जब तक आप पूरी तरह फिट नहीं हो जाते।
देखिए ऐसा नहीं है कि दाल गलत है या फिर राजमा गलत है बात यह है कि हमारा मॉडर्न लाइफ़स्टाइल जिसमें हम 8 घंटे कंप्यूटर या मोबाइल के आगे बैठे रहते हैं और दिन में 1 घंटे से ज्यादा एक्सरसाइज नहीं करते ऐसे में बचाना मुश्किल हो जाता है हमारे पूर्वज इसको आसानी से पचा पाते थे क्योंकि वह पूरे दिन में 8:00 8 घंटे धूप में मेहनत का काम करते थे लेकिन समस्या तो यह है कि हम लाइफस्टाइल तो आज का जी रहे हैं और डायट खानपान यह हम अपने पूर्वजों का खा रहे हैं और इसलिए बीमार पड़ रहे हैं।
अब लंच और डिनर के बीच में आपको मेड मिल लेने का मन करें इस समय आप कोई भी ताजा जूस पेठे का जूस या फिर नारियल का जूस ले सकते हैं इसके साथ स्नैक्स नमकीन बिस्कुट बिल्कुल नहीं लेना यदि juice के बाद भी भूख लगे तो आप नारियल के दो तीन टुकड़े ले सकते है या फिर हल्का फल खा ले।
बहुत लोगों को इस समय चाय या कॉफी की आदत होती है इस समय आप हर्बल टी ले सकते हैं आपको कोई ग्रीन टी पैकेट वाली नहीं लेनी घर पर आप अपनी खुद की हर्बल टी बनाएं। फिर डिनर में आप salad या सूप लीजिए आपका सैलेड कच्चा होना चाहिए मौसम की कोई भी सब्जियों को काटकर जैसे कि खीरा गाजर चुकंदर धनिया लेकर उसमें काजू बादाम से बनी कोई भी डिजीज डाल सकते हैं सैलेड में कोई राजमा दाल चना नहीं डालना। अगर आप चाहे तो आप salad के साथ सूप भी ले सकते हैं आपके सूप में तेल दूध नहीं होना चाहिए और वह कम से कम पका होना चाहिए जब आप रात को अनाज छोड़कर सुप और सैलेड खाएंगे तो आपको बहुत ही light feel होगा और फिर जब आप सुबह अपना extra वजन घटता देखेंगे वह भी बिना दवाइयों के और जब आप अपनी रीडिंग घटती भी देखेंगे तो आपको दोबारा उन की तरफ जाने का बिल्कुल मन नहीं करेगा ।
तो अब आप दिन में एक बार फल खा रहे हैं और एक बार अन्न खा रहे हैं और एक बार सैलेड और सूप ले रहे हैं आप देखेंगे आपका डाइजेशन बहुत ही कमाल का काम करेगा अगर आप चाहे तो आप लंच और डिनर को अदल बदल भी कर सकते हैं यानी कि आप लंच में सैलेड और सूप ले सकते हैं और डिनर में आप अन्न ले सकते हैं यह डाइट प्लान उनके लिए है जिनको कोई बीमारी है और वह उन्हें जड़ से ठीक करना चाहते हैं यह उनके लिए भी है जो पहले से फिट है और जो अपना वजन और हेल्थ मेंटेन रखना चाहते हैं लेकिन एथलीट्स और बच्चों के लिए यह डायट सजेस्ट नहीं है 16 साल से कम उम्र के बच्चे और एथलीट दिन में दो से तीन बार खा सकते हैं यदि वह फिट है क्योंकि वह उसे बचा सकते हैं।
आइए अब कुछ इंपॉर्टेंट प्रश्नों का उत्तर करते हैं।
पहला प्रश्न जो होता है लोगों का कि हमें पूरे दिन में कितना पानी पीना चाहिए आपको पानी केवल तब पीना चाहिए जब आपको प्यास हो ठीक वैसे ही खाना आपको तब खाना चाहिए जब आपको भूख हो जबरदस्ती हर रोज 8- 9 गिलास पानी पीने की जरूरत नहीं है acces मैं पानी पीना बेवजह आपके किडनी पर असर डालता है acces मैं पानी ना पीकर आप खाना ऐसा खाए जिसमें पानी भरपूर मात्रा में हो जैसे कि Water Rich Food.
अगला प्रश्न मुझे यह कब तक फॉलो करना है इसको आप तब तक फॉलो करें जब तक आपको स्वस्थ और फिट रहना है और जब तक आपको शरीर में रोग और बीमारी नहीं चाहिए जो मैंने आपको यहां दिया वह वजन कम करना या डायट प्लान की तरकीब नहीं है यह एक लाइफस्टाइल है जो आप को मां प्रकृति और उसके खाने से वापस जोड़ता है हमारा यह शरीर मां प्रकृति का बहुत कीमती दिया हुआ है दिन बा दिन हफ्ते 2 हफ्ते साल भर साल यह समय गुजरा जा रहा है रोज सुबह हम उठते हैं और शीशे में देखते हैं और सोचते हैं काश हमें दिन की शुरुआत यह दवाइयां लेकर ना करनी पड़ती काश मेरा यह एक्स्ट्रा वेट ना होता मैं चाहता हूं कि आप जिंदगी भर ऐसे इच्छा ना करते मैं चाहता हूं कि आप महसूस करें कि शरीर का हर अंग जब अच्छा लगता है या फिट होता है तो कैसा लगता है जब आपके शरीर में बीमारी या बीमारी का कोई बीज नहीं होता मेरा यहां होने का सिर्फ एक मकसद है आपको वापस मां प्रकृति से जोड़ना।
अभी के लिए इतना ही हम वापस फिर मिलेंगे।
इस डाइट प्लान से किसी भी बीमारी का उपचार संभव है
Reviewed by Vishant Gandhi
on
April 07, 2020
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