एसिडिटी दूर करने का अचूक आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद में वात पित्त और कफ तीन प्रकार के दोष बताएं हैं। तीनों प्रकारों के दोषों में साम्य अवस्था अर्थात संतुलन रहने पर हमारा पूरा शरीर निरोग और स्वस्थ रहता है। आज बात करेंगे हम आयुर्वेद में एसिडिटी की। हमारे शरीर में एसिडिटी होने पर हमें कौन से संताम्स फील होते हैं। हमारे शरीर मे किन-किन प्रकार से औषधियों का सेवन करें वह पूर्ण रुप से हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो।
मॉडल साइंस कहती है कि हमारे शरीर में स्टमक में एक्स सेल की मात्रा बढ़ने पर एसिडिटी की का प्रभाव हमारे शरीर में दिखाई देता है। उसके बारे में आयुर्वेद क्या कहता है। आयुर्वेद कहता है कि हमारे उधर की अग्नि मंद हो जाती है। तब हमारे शरीर में एसिड अमल की मात्रा बढ़ जाती है। इसी से हमारे शरीर में एसिडिटी की फीलिंग आती है।
उसके कई कारण बताये जाते हैं। चाहे वह अधिक मात्रा में प्रोटीन या चिकन का सेवन करना हो। दवाइयों का सेवन हो। बहुत ज्यादा मात्रा में ड्रिंकिंग करना हो। या आजकल लोग स्ट्रेस में रहते हैं। स्ट्रेस भी एक फैक्टर होता है। जिसके कारण हमें एसीडिटी प्रॉब्लम क्रेट होने लग जाती है ओर बिगड़ती हुई इस लाइफ स्टील में राइट मेथड से फ़ूड को नही खाना सही रूप से भोजन नही करना भी एक इसका कारण माना जा सकता है।
जानते हैं आज किस प्रकार से हमारे शरीर में एसिडिटी का फॉर्मेशन होता है। आयुर्वेद में किन-किन रूपों में समाधान बताया गया। आयुर्वेद कहता है वात पित्त और कफ तीनों प्रकार के साम्यावस्था में रहने पर किसी प्रकार का दोष आपके शरीर में उत्पन्न नही होगा।
जब एसीडीटी उत्पन्न होती है। तो आयुर्वेद के अनुसार कफ और पित्त दोनों में मिक्सअप होने के कारण एसिडिटी का फॉरमेशन होता है। हृदय से ऊपर का क्षेत्र है वो हमारे कफ का प्रदेश है। हृदय से लेकर नाभि तक का प्रदेश है वो हमारे पित्त का प्रदेश है और एसिडिटी पित्त और कफ दोनों का संयुक्त रुप है। जब हमारी अग्नि मंद हो जाती है। पाचन शक्ति हमारी कमजोर हो जाती है। तो एसिडिटी का फॉरमेशन होता है। एसिडिटी को समाप्त करने के लिए हम किसी न किसी प्रकार से उसका समाधान खोजते हैं। चाहे हम सोडा खाएं। चूर्ण खाएं या फिर कोई दवाई ले।
जब हम एसिडिटी बनने पर सोढा लेते हैं। चूर्ण लेते हैं या फिर कोई दवाई लेते हैं तो वह हमारे शरीर में जाकर जो एसिड बना हुआ उसे डाइल्यूट कर देता है। उस डाइल्यूट के कारण जो एंटाएसिड लिया है। जब तक उसका इफेक्ट रहता है तब तक वह असर करता है। जब उसका इफेक्ट कम हो जाता है हमारे शरीर में तो रीबोंड एसिडीटी पैदा करता है और उससे हमारे को और ज्यादा नुकसान होता है। इस प्रकार से कोई ना कोई, किसी न किसी प्रकार से एसिडिटी से मुक्ति के लिए चूर्ण खाता है। कोई दवाई लेता है ।
अब मैं आपको बताता हूं कि इसके परमानेंट सॉल्यूशन क्या है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हमारे योगी ग्रंथों में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कौन सा ऐसा समाधान बताया है। जो कि इस एसिडीटी का परमानेंट सॉल्यूशन है। इसके लिए आयुर्वेद में एक कर्म बताया गया है। पंचकर्म के अन्तर्गत वमन। यही वमन हमें योग के अन्तर्गत सत कर्मो के अंतर्गत मिलता है जहां पर पानी को पीना है गुनगुने पानी को एक से डेढ़ लीटर पानी पीना है और प्रातः काल उसको वोमेटिंग के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। इसे वमन क्रिया कहते हैं।
औषधियां रूप में भी हम कई प्रकार के जो घरेलू औषधियां जो हमारे रसोई घर में उपलब्ध होती हैं। हम उनका प्रयोग कर सकते है। आयुर्वेद में सोंठ का प्रयोग किया जाता है। सोंठ की प्रवृत्ति है वो बताई गयी है। यह दीपन और पाचन यह दोनों का काम करती है। दीपन का अर्थात हमारी अग्नि को बढ़ाती है। पाचन हमारे डाइजेशन सिस्टम को अच्छा बनाती है। क्योंकि जो एसिडिटी होती है। वह महमारे शरीर में एक्ससल की मात्रा को ज्यादा होने पर बनती है। उसे सोंठ सुखाकर कंट्रोल करती है। सोंठ के बारे में हमारे ऋषि-मुनियों ने आयुर्वेद में लिखा है। इसकी जो प्रवर्ति है वह गर्म है उष्ण है। तो हमें सोडा की जगह सोंठ खाना है। तो हमें सोंठ का सेवन करना है।
यदि हमारी एसिडिटी बनती है हमारे शरीर में तो हमें सोढा छोड़कर सोंठ का सेवन करना होगा। सोंठ गर्म नेचर का है। उष्ण है मधुर है ओर वात पित्त कफ संबंधित जितने भी रोग है उनका नाश करेगा। लेकिन किस प्रकार से यदि। हमने हमारे शरीर में कुछ ऐसा खाया है जो तीखा हो, कड़वा हो ,गर्म नेचर का हो वहां पर सोंठ का प्रयोग कैसे करें क्योंकि ऑलरेडी हमने इसी प्रकार का सेवन किया है और फिर हम गर्म नेचर के रूप में सोंठ का सेवन कर रहे है। वो किस प्रकार से हमारे शरीर को लाभदायक हो। इसके लिए हमे दूसरा उपाय अपनाना होगा यदि आप को नोर्मल एसिडीटी रहती है।
तो आप खाने के बाद दो चुटकी सोंठ ले ले। सोंठ अदरक का सुखा हुआ रूप होता है जिसे हमारी माताओं बहनों द्वारा घर में ही बनाया जाता है प्राचीन काल से यह पद्धति हमारी परंपरा में रही है। तो सोंठ सामान्य रुप से हमारे घर में उपलब्ध होती है यदि आपने कुछ गरम खाया है। कुछ तीखा खाया है जिसके कारण आपको डकारे फील हो रही है खट्टी खट्टी। आपके स्टमक की तरफ लांक में या छाती में आप को जलन फील हो रही है। एसिडीटी बन गई है। तो आप इसका दूसरा उपाय करेंगे। एक चम्मच आप आवला ले उसमें दो से तीन चुटकी सोंठ मिलाए और खाने के 5 मिनट बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ उसका सेवन करें। आपको किसी प्रकार की एसीडीटी नहीं बनेगी। लेकिन एसिडीटी का परमानेंट सल्यूशन वमन क्रिया है। तो आप किसी नजदीकी आयुर्वेदिक सेंटर पर जाइए जहां पर वह आपको वमन क्रिया करवाए। या किसी योग आचार्य से मिलिए वो आपको वमन क्रिया करवाएं। किंतु सावधानी रखिएगा कि इसे हार्ट से रिलेटिड किसी प्रॉब्लम में हो। या हाई बी पी रहती हो तो आप किसी आयुर्वेद आचार्य से या किसी योग आचार्य से जोकि आपको प्रशिक्षण दे। उनके परामर्श से ही आपको वमन क्रिया करना है।
आहार में आपको ध्यान रखना है। खाने से 5 मिनट पहले आप सदैव अदरक का टुकड़ा लीजिए उस का सेवन करें। वह आपके सेवन को आपकी पाचन शक्ति है उसको बड़ा देता है। अग्नि को प्रदिप्त करता है ओर जो छोटी-छोटी समस्या होती है पाचन से सम्बंदित उसे समाप्त कर देता है। तो आप अपने आहार को संतुलित रखें। खाने का सही समय निर्धारित करें। तो सोडा नही सोंठ खाये और एसिडिटी को भगाएं।
एसिडिटी दूर करने का अचूक आयुर्वेदिक उपाय
Reviewed by Vishant Gandhi
on
April 07, 2020
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