मनुष्य की प्रकृति, शाकाहार या मांसाहार
नमस्कार दोस्तों
बड़े बुजुर्ग कह कर गए हैं जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा तन और मन। शाकाहार और मांसाहार पर पहले टॉपिक में आपको जानकारी दे चुके हैं। देश काल परिस्थिति मनुष्य के लिए कैसी भी हो उसे अपने जीवन में मांसाहार का उपयोग नहीं करना चाहिए। शाकाहारी भोजन ही उसको लेना चाहिए। आज का विषय अति महत्वपूर्ण है शाकाहारी भोजन कैसा हो किस समय पर हो।
थोड़ा सा बता दू हमारे वेद शास्त्र गीता के अनुसार भोजन में तीन गुण होने चाहिए सतोगुण रजोगुण तमोगुण तीन गुण है। इन तीन गुणों से सृष्टि बनती है । सतोगुणी आहार वो होता है जो आहार बिना किसी मिर्च मसाले के हो। बिना किसी तड़के के हो और शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन हो ऋषि मुनि इसका उपयोग करते थे। जो मेडिटेशन जिन लोगों को करनी होती है वह लोग इसका प्रयोग करते हैं। ऐसा भोजन शरीर के लिए बलवर्धक बुद्धि वर्धक और आयु को बढ़ाने वाला होता है।
दूसरा है रजोगुण आहार जिस शाकाहारी भोजन में मिर्च मसाले आदि तड़के का प्रयोग हो नमकीन खट्टे का अधिक मात्रा में उपयोग उसे रजोगुणी आहार बोलते हैं। ऐसा भोजन शरीर में बीमारी पैदा करता है और शरीर के लिए हानिकारक होता है। तीसरा आहार तमोगुण आहार जो भोजन बासी हो मसालों का इत्यादि का प्रयोग हो। लहसुन प्याज का जिसमें उपयोग किया गया हो ओर उसके इलावा मांसाहारी भोजन तमोगुण आहार में आता है।
ऐसा भोजन शरीर के लिएअत्यंत हानिकारक होता है। हमें कभी भी उसका सेवन नहीं करना चाहिए। हाल ही में कुछ रिसर्च लहसुन और प्याज के ऊपर बताती है यह कुछ बीमारियों को हमारे शरीर में कंट्रोल करता हैं जैसे हृदय की बीमारी, कैंसर की बीमारी में भी कंट्रोल करते हैं। पेट के लिए भी लहसुन ठीक रहता है। पेट की बीमारियों के लिए। लेकिन इसमें एक बात में जरूर कहना चाहूंगा कि लहसुन और प्याज हमारे शरीर के लिए दवाइयों के रूप में औषधि के रूप में हम ले सकते हैं।
औषधि ओर आहार में बहुत फर्क होता है। आहार डेली हर रोज लिया जाता है। जबकि औषधि तब ली जाती है जब शरीर में कोई बीमारी हो। कुछ रिसर्च हैं 1980 के दशक में डॉ रॉबर्ट सी बेक ने रिसर्च किया था और यह बताया था। कि ओनियन एंड गार्लिक लहसुन और प्याज में सेलफोन हाइड्रोकस लयर होते हैं जो हमारे ब्लड ब्रेन बेरियर को क्रॉस कर के दिमाग में जाते हैं ओर दिमाग के स्टेम सेल्स जो होते हैं ब्रेन के उसके लिए हानिकारक है। उसमें बीमारियां पैदा करते हैं।
रॉबर्ट सी बेक में ने अपनी स्पीच में यहां तक भी कहा था। कि अगर आपके पास सिर दर्द के और ब्रेन डिसऑर्डर अटेंशन डेफिनिशन डिसऑर्डर के पेशेंट हैं तो उनकी डाइट से लहसुन और प्याज बे ऑफ कर दीजिए हटा दीजिए हैरानी जनक रिजल्ट्स मिलेंगे।यह रिसर्च और लहसुन के प्याज के खाने को निषेध करते हैं ।उसके तमोगुण आहार पर स्टैंप कंफर्म करते हैं। यह आज के युवा वर्ग के लिए है जो कहते हैं वेद और शास्त्रों की भाषा से ज्यादा विज्ञान पर विश्वास करते हैं। विज्ञान यह मानता है यह लहसुन और प्याज तमोगुण ही है।
मेरी आपसे विनती है अपने जीवन में अपने परिवार और अपने बच्चों और अपने आप को शुद्ध और शाकाहारी सतोगुण आहार दीजिए। सुबह का भोजन 9:00 बजे से पहले दोपहर का 1:00 से 2:00 के बीच में और रात्रि का का भोजन 7:00 बजे तक हमें कर लेना चाहिए। यह टाइमिंग है जो बेस्ट होती हैं। किसी भी मील के लिए। किसी भी खाने के समय के लिए बेस्ट टाइम है। शुद्ध शाकाहारी सतोगुण आहार हमें लेना है। बाहर का खाना कभी भी मत लीजिए। आज ना जाने कैसा रिफाइंड ऑयल कैसा तेल वो इस्तेमाल करते कैसे मसाले वो इस्तेमाल करते हैं खाने में जो हमे बीमार करते हैं।
दूसरी तरफ आज आधे से ज्यादा रेस्टोरेंटे ओर ढाबे नॉनवेज और वेज शाकाहारी और मांसाहारी दोनों भोजन परोसते हैं। उनके परोसने के और जो खाना बनाने के बर्तन हैं वह भी एक ही होते हैं। तो आप खुद विचार कीजिए। कि आप शाकाहारी भोजन लेते हैं तो क्या उसमें सच में शाकाहारी हैं। ऐसा हो नहीं सकता आप भी बुद्धिमान है। थोड़ा विचार कीजिएगा। शाकाहारी भोजन लीजिए। लहसुन प्याज का उपयोग कम कीजिए मांसाहार भोजन को बिल्कुल ही निषेद कर दीजिए। धन्यवाद।
मनुष्य की प्रकृति, शाकाहार या मांसाहार
Reviewed by Vishant Gandhi
on
April 28, 2020
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