वीर्य कैसे बनता है और इसका महत्व
नमस्कार दोस्तों
स्वागत है आपका फिर एक नये टॉपिक के साथ। आज मैं इस टॉपिक में मैं वीर्य से जुड़ा बहुत बड़ा मिथ दूर करने जा रहा हूं। अगर आप हमारे टॉपिक से जुड़े रहते हैं तो आपको पता होगा कि वीर्य हमारे शरीर में कैसे बनता है। अगर आप नये है तो फिर से बता दे रहा हूं। जो आप खाना खाते हैं उसका सबसे पहले 5 दिनों तक रस बनता है। फिर 5-5 के दिनों के अंतर से रक्त, मास,मेध, अस्थि, मज्जा, अंत में 35 से 40 दिन के बीत जाने के बाद और 32 किलो भोजन कर लेने के बाद। 15 से 20 ग्राम वीर्य बनता है। जोकि एक बार हस्तमैथुन करने पर निकल जाता है।
दोस्तों यह जो हमने 32 किलो भोजन की बात की है। वह सिर्फ पौष्टिक भोजन है ना की बाहर का जंक फूड या कई दिन पुराना पैक्टो में बंद किया हुआ भोजन है। तो दोस्तों वीर्य से जुड़ा एक सबसे बड़ा मिथ यह है कि जब वीर्य ज्यादा बनने लगता है। तो उसे हस्तमैथुन करके निकाल दिया करो। फिर यह बात यहीं तक नहीं रहती। इसी बात को प्रोफ करने के लिए एक घटिया सा एग्जांपल देते हैं। जिसका वीर्य निकालने से कोई भी रिलेशन नहीं है। एग्जांपल यह है कि जैसे एक टंकी में पानी भरता रहता है। जब भरकर पूरा भर जाता है। यानी पूरी टंकी पानी से भर जाती है। पानी उससे अपने आप निकल जाता है इसी एग्जांपल को वीर्य से जोड़ देते हैं।
अब उन लोगों से एक सवाल पूछना चाहता हूं। कि आपको कैसे पता चला कि वीर्य शरीर में ज्यादा बन रहा है। वीर्य शरीर की वह अनमोल और बेश कीमती धातु है। जिसकी तुलना किसी अन्य धातु के करने पर फीकी पड़ जाती है।
मॉडल साइंस सिर्फ यहीं तक सीमित है की वीर्य जैसे ही शरीर में ज्यादा बनने लगे तो उसे निकाल दिया करो लेकिन आयुर्वेद उससे कहीं आगे की सोचता है। आयुर्वेद में कुछ इस प्रकार वर्णन है कि जब शरीर में वीर्य स्ट्रांग हो जाता है। जितना परिपत्र वीर्य को होना चाहिए। मतलब जितना की वीर्य को स्ट्रोंग होना चाहिए। वहां तक हो जाने के बाद। वही वीर्य अन्यथा धातुओं को रक्त,रस मांस मेध अस्थि मज्जा को स्ट्रांग करना शुरू कर देता है।
अब मान लो सभी धातु स्ट्रोंग हो गई। तो फिर इसके आगे यही वीर्य हमारे बल को बढ़ाता जाता है। फिर इसके आगे ताकत के साथ- साथ यही वीर्य हमारे आत्मविश्वास को भी निरंतर बढ़ाता रहता है। यही नहीं है कि वीर्य हमारे शरीर को अंदर से स्ट्रांग करता है। अब में बाहरी शरीर की बात करता हूं। जो व्यक्ति अपनी वीर्य की रक्षा करता है। जो अपने वीर्य को संचित करता है।वह व्यक्ति 100 लोगों के बीच में एक इकलौता झलकता पुरुष दिखाई देता है। उसके चेहरे जो ग्लो और तेज झलकता है वह दूसरों में नहीं होता।
उसके चेहरे की सुंदरता भी अपनी चरम सीमा तक होती है और आंखों में जो अट्रैक्शन होता है। उसे देखकर हर मनुष्य उसकी तरफ आकर्षित हो जाता है। बाल लंबे काले घने घुंघराले हो जाते हैं। इसलिए हमारी संस्कृति में जब बड़े बुजुर्ग आशीर्वाद देते थे। तब उन्हें वीर्यवान होने का आशीर्वाद भी देते थे। लेकिन आज की इस मॉडल साइंस ने सब कुछ मिटा कर रख दिया है। लेकिन यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यही मॉडल साइंस वीर्य से जुड़े मिथ को गलत सिद्ध करेगी। इस वीर्य की महिमा को समझकर ही आयुर्वेद में ब्रह्मचर्य का पालन करने को महत्व दिया गया।
50 -60 साल पुरानी यह बात कहां समझेंगे वह तो आयुर्वेद को पुराना मानती है लेकिन आयुर्वेद का एक-एक सूत्र आज भी उतना ही इफेक्टिव है। जितना कि सदियो पुराना रहा था। और दोस्तों इस कि आप कल्पना भी मत करना कि मैं जो बात बताता हूं। जो इंफॉर्मेशन आपको देता हूं वह सिर्फ हवा में बात कर के फेंकता हूं या इंटरनेट से कनेक्ट करके वीडियो बना देता हूं। सबसे पहले तो मैंने आयुर्वेद के ग्रंथों को पढ़ा। फिर आपसे वार्तालाप किया। बस यही वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है कि जिसकी जितने ज्यादा फ्लोवर होते हैं उतनी ही मीठी मीठी बातें करके आपको हर कुछ बता देता है।
जो वैध जो गुरु जो मंत्री आप से मीठी-मीठी बातें करें तो समझ लीजिए कि आपकी जिंदगी को बर्बाद होने से ईश्वर भी नहीं बता सकता। इसलिए इनसे बचकर रहे है क्योंकि आपकी जिंदगी बेशकीमती है। इसे यूं ही बर्बाद ना करें। क्योंकि मानव जीवन भी सभी प्राणियों में सबसे उत्तम जीवन होता है। तो दोस्तों किसी की बातों में आकर यूं ही वीर्य को बर्बाद ना करें क्योंकि जिसके शरीर में वीर्य की कमी नहीं होती है। मतलब जो पुरुष वीर्यवान होता है उसके शरीर में हर रोज कुछ तूफानी करने वाली फीलिंग आती है। मतलब दुनिया में आए हैं तो कुछ पाकर जरूर जाना। अंत मे इच्छा मृत्यु को प्राप्त होना है। तो दोस्तों इसी के साथ उम्मीद करता हूं। मेरे द्वारा बताए गई जानकारी आपके जीवन में कुछ काम आयेगी।
नमस्कार।
वीर्य कैसे बनता है और इसका महत्व
Reviewed by Vishant Gandhi
on
April 07, 2020
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