पथरी की समस्या को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
पथरी की प्रॉब्लम जैसे- जैसे व्यक्ति का आहार विकरित होता जा रहा है और शारीरिक श्रम का अभाव होता जा रहा है। पानी की मात्रा कम होती जा रही है। हमारी डेली लाइफ में पानी कम पीते हैं और तले हुए पदार्थ ज्यादा खाते है। उससे पथरी हो जाती है। एक तो गॉलब्लेडर में स्टोन होता है। एक पेनक्रियाज में स्टोन होता है। एक किडनी में स्टोन होता है। किसी को गले में किसी को पूरे शरीर में कही पर भी स्टोन हो सकता है। कैल्शियम डिपॉजिट हो जाता है ज्यादातर वो पथरी बन जाती है।
कैल्शियम डिपोजिट पेनक्रियाज में भी हो सकता है। वो कैल्शियम का डिपोजीशन हमारी किडनी में भी हो सकता है। कैल्शियम डिपाजिट मैंने एक को देखा गले में पथरी हो गई। यह तो ज्यादातर पथरी वो कैल्शियम से बनती है । यदि आप नियमित रुप से कपालभाती प्रणायाम करते हैं और थोड़ा तेज़ चलते हैं या तेज़ दौड़ते हैं। तो आपको कभी भी पथरी नहीं होगी। आप पानी की मात्रा पूरी सेवन किया करे।
गाल ब्लैडर में स्टोन भी बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। गाल ब्लैडर का जो स्टोन है वो कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से होता है। यदि आप रोज़ नियमित रूप से कपालभाती व्यायाम करते हैं। तो आपको गलस्टोन भी नहीं होगा और आपका कॉलेस्ट्रोल भी कंट्रोल में रहेगा। ताले हुए पदार्थ हम ज्यादा खाने लग गए हैं ओर शारीरिक श्रम छुट गया है। इसमें कपालभाती व्यायाम तो आपको जरूर करना चाहिए। नही तो आपको किडनी स्टोन, गलस्टोन ,अथवा पेनक्रियाजस्टोन या शरीर में कहीं पर भी हो स्टोन हो सकता है। तो पानी की मात्रा का पूरा ख्याल रखे।
कभी कभी छाछ पी लिया करे। पहले थोड़ी खट्टी छाछ पी लिया करते थे। उसके और भी बहुत गुन है उसे मूत्र रोग भी नहीं होते शरीर के विकास के लिए भी कैल्श्यिम से लेकर दूसरे पोषक तत्व होते हैं। डाइजेशन के लिए भी बहुत अच्छी होती है तो छाछ का सेवन कभी कभी कर लिया करें। पहले लोग कुल्थी की दाल कभी कभी खा लिया करते थे। कुल्थी की दाल का सेवन करने से आपके शरीर पर कही भी स्टोन नहीं होगी। स्टोन होने के बाद आप कुल्थी को उबालकर पिये। कुल्थी की दाल के एक दो चमच को एक गिलास पानी में उबाला 50 ग्राम जब बच जाये या 100 ग्राम बच गया तो छानकर पी लिया उसको।
पथरी के लिए मूली का प्रयोग भी बहुत अच्छा होता है। पहले लोग मूली खाया करते थे। अभी भी हम सलाद आदि में मूली का प्रयोग करते हैं। मूली का नियमित रूप से सेवन करते हैं उसको पथरी कभी नहीं होती। जो जौ का आटा कभी कभी खा लेते है। उसका सेवन बहुत अच्छा रहता है। पहले तो हमारे यहाँ खाने में जो है, चना है, मक्की है, बाजरा है, अलग - अलग तरह का अनाज खाया करते थे। वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
जौ का सेवन जो करते है उनको भी पथरी नहीं होती है और पथरी की दवाई के तौर पर हम यवक छार है या मूली छार है जौ का मूली छार बना लेते हैं उसकी प्रक्रिया है। फिर हजरूल यहद भस्म उसमें डालते है। फिर श्वेत पपर्टी डालते है तो उससे अस्मरीहर रस बनाते है। इसे एक एक ग्राम सुबह शाम इसका सेवन कर सकते है। ये पथरी के लिए बहुत उपयुक्त होती है और पथरी के लिए कुछ काढ़े होते है जड़ी बूटियों के जैसे वरुण की छाल है गोखरू है पुनर्नवा, पाषणभेद, इन सबको मिला कर के अस्मरिहर क्वाथ हमने बनाया इसका भी सेवन अपने किया या एक चमच डाल कर उसका काढ़ा अपने पी लिया। इस से भी पथरी दूर हो जाती है।
एक पत्थर चटा पत्ते होते है कही पर भी किसी भी माली से आप पूछ सकते है हम भी अपनी नर्सरी में लगते है। लोगो को सीखते है कि आप कैसे अलग अलग बीमारियों में बूटियों का प्रयोग कर सकते है। पत्थर चटा कर जो पत्ते होते है 3 से 5 सेवन के लिए तो सभी तरह की पथरी से हमे छुटकारा दिलाता है। किसी की सात दिन में किसी की पंद्रह दिन में किसी की एक महीने में पथरी निकल जाती है।
कपालभाति करते करते थोड़ा सा दर्द होने लगता है। फिर वह थोड़ा पानी पीते हैं तो पथरी निकल जाती है। ऐसे मैक्सिमम लोगो को हो जाता है। गैलस्टोन में भी बहुत ज्यादा गाल ब्लैडर पूरा ही भर गया है तो समय तो आपको परेशान कराना ही पड़ेगा। प्रारंभिक अवस्था गलस्टोन भी नियंत्रण करने से डीजोल हो जाता है।वो निकलता नही है उसका एक दूसरा तरीका होता है तो यह पथरी के लिए योग का और आयुर्वेद का जो उपाय है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह रामबाण है। यह अचूक उसकी दवा है। आप खुद इन नुस्खों को अपनाएं और दूसरों को बताएं। जिससे कि किसी को भी पथरी के लिए ऑपरेशन कराने की जरूरत ना पड़े।
पथरी की समस्या को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
Reviewed by Vishant Gandhi
on
April 03, 2020
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