संगठन का महत्व
एक क्षेत्र में भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा। निर्धन परिवार ने कहीं सुविधा के अन्य क्षेत्र में जाने की तैयारी की आवश्यक सामान साथ में बाँध लिया।
रात में एक पेड़ के नीचे विश्राम किया। तीन लड़के थे। एक को आदेश मिला ईंधन ढूंढ़ कर लाओ। दूसरे को आग और तीसरे को पानी लाने का आदेश मिला तीनों ही तुरन्त चल पड़े और अपनी जिम्मे की वस्तुएँ ले आये। चूल्हा जलाया गया। पर प्रश्न था कि इसमें पकाया क्या जाय।
परिवार के स्वामी ने पेड़ की तरफ इशारा किया कि चढ़ जाओ और जो कुछ मिले उसे लाओ।
तीनों लड़के पेड़ पर चढ़ गये। उस पर एक देव रहता था। उसने समझा यह अनुशासित परिवार मिलजुल कर हर काम पूरे कर लेता है तो मुझे पकड़ेंगे और चूल्हे में पकायेंगे। उसने डर कर पेड़ की जड़ में गढ़ा हुआ अशर्फियों का एक घड़ा दे दिया और कहा मुझे मत पकड़ो। इस धन से अपना गुजारा करो।
दूसरे दिन परिवार अपने घर लौट आया और प्राप्त धन के सहारे आनन्दपूर्वक अपना गुजारा करने लगा।
यह बात पड़ोस वालों ने भी सुन ली। पड़ोसी ने भी यह तरकीब काम में लाने का प्रयत्न किया। वह भी अपने परिवार को लेकर उसी पेड़ के नीचे आ बैठा। उसके भी तीन लड़के थे। तीनों को काम सौंपे तो वे जाने को तैयार न हुए आपस में लड़ने झगड़ने लगे। चूल्हा जलाने की नौबत न आई।
परिवार का स्वामी पेड़ पर देव पकड़ने चढ़ा। देवता ने कहा तुम लोगों में आपस में एकता तो है नहीं। मुझे पकड़ने पकाने की व्यवस्था तो कर ही कैसे सकोगे। धन मिल गया तो उसके लिए ही लड़ मरोगे।
यह कहकर देव ने उस परिवार को भगा दिया। वे निराश घर वापस लौट आये।
संगठन का महत्व , कहानी
Reviewed by Kanchan Ji
on
February 06, 2022
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