संसार और स्वपन
एक किसान था। उसके एक लड़का था। और कोई सन्तान न थी। वह लड़के को बड़ा प्यार करता था और खूब लाड़ से पालन पोषण करता। एक दिन वह खेत पर काम कर रहा था तो उसे लोगों ने खबर दी कि तुम्हारा लड़का बड़ा बीमार है। उसकी हालत बहुत खराब है। किसान घर पर पहुँचा तो देखा लड़का मर चुका है। घर में स्त्रियाँ रोने लगी, पड़ोसिनें भी उस होनहार लड़के के लिए रोती हुई आईं। किन्तु किसान न रोया न दुःखी हुआ।
वह शान्त चित्त से उसके अन्तिम संस्कार की व्यवस्था करने लगा। स्त्री कहने लगी “कैसा पत्थर का कलेजा है आपका, एकमात्र बच्चा था वह मर जाने से भी आपका दिल नहीं दुखा? थोड़ी देर बाद में किसान ने स्त्री को बुलाकर कहा देखो रात को मैंने एक स्वप्न देखा था। उसमें मैं राजा बन गया। मेरे सात राजकुमार थे जो बड़े ही सुन्दर और वीर थे। प्रचुर धन सम्पत्ति थी। सुबह आँखें खुलते ही देखा तो सब नष्ट। अब तुम ही बताओ कि उन सात पुत्रों के लिए रोऊं या इसके लिए। यह कहते हुए अपनी स्त्री को भी समझाया।
ज्ञानियों के लिए जैसा स्वप्न है वैसा ही यह दृश्य जगत। यह भी स्वप्नवत है, यह जानकर ज्ञानी लोग इसके हानि लाभ से प्रभावित नहीं होते और अपनी सदा एक रस, सत्य नित्य रहने वाली आत्म स्थिति में स्थिर रहते हैं।
संसार और स्वपन, कहानी
Reviewed by Kanchan Ji
on
February 07, 2022
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